Thursday, April 21, 2016

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अनमोल विचार !!


व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है।                                            -महात्मा गाँधी

एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।  
-महात्मा गाँधी

कर्म प्राथमिकताओं को व्यक्त करता है।
-हात्मा गाँधी

एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है। 
-महात्मा गाँधी

अपने प्रयोजन  में दृढ  विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर इतिहास के रुख को बदल सकता है।
-महात्मा गाँधी

हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें. हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा।
-महात्मा गाँधी

एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।
-महात्मा गाँधी

आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।
-महात्मा गाँधी

थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है। 
-महात्मा गाँधी

खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं।  
-महात्मा गाँधी

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है।  
-महात्मा गाँधी

पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
-महात्मा गाँधी

जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। 
-महात्मा गाँधी

ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।  
-महात्मा गाँधी 

मौन सबसे शाशाक्त भाषण है. धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।  
-महात्मा गाँधी

पूर्ण धारणा के साथ बोला गया ” नहीं” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
-महात्मा गाँधी

विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।  
-महात्मा गाँधी

कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटी नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।  
-महात्मा गाँधी

क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।  
-महात्मा गाँधी 

पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है. किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।  
-महात्मा गाँधी

अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।  
-महात्मा गाँधी

निरंतर विकास जीवन का नियम है , और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने  के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत इस्थिति में पंहुचा देता है।  
-महात्मा गाँधी

यद्यपि आप अल्पमत में हों , पर सच तो सच है।
-महात्मा गाँधी

जो भी चाहे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकता है. वह सबके भीतर है।
-महात्मा गाँधी

गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये  गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में। 
-महात्मा गाँधी

मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।
-महात्मा गाँधी

मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाय पत्रकारों और  फोटोग्राफरों की।
-महात्मा गाँधी

नोट:  हिंदी में अनुवाद करने में  सावधानी बरतने के बावजूद कुछ त्रुटियाँ हो सकती हैं. कृपया क्षमा करें।


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